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तमन्नाओं के बाज़ार में दुकानें तो बहुत सजाई मैंने मगर खरीददार नहीं आया कोई जो भी आया बेचैनी बेच गया.....

तमन्नाओं के बाज़ार में
दुकानें तो बहुत सजाई मैंने
मगर खरीददार नहीं आया कोई

जो भी आया बेचैनी बेच गया
बदले में सुकून ले गया

पहले ही तमन्ना -ऐ -सुकून था
अब पूरी तरह तमन्ना हो गया

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