किनारे बैठ कर भीख मांग कर पेट भरता था ।
एक दिन एक युवक उसके पास रुका और पुछा ," भाई , मैं तुम्हे
कई दिनों से देख रहा हूँ , शायद कई बरसों से , तुम्हे
ज़िन्दगी जीना कैसा लगता है ?
तुम्हे कैसा महसूस होता है जब कोई तुम्हारे पास आता नही
और लोग दूर ही रहते हैं तुमसे ?
"कोढ़ग्रस्त व्यक्ति ने उत्तर दिया " मैं भी कई बार यही
सोचता हूँ , पर जीवन जीना मेरे बस की बात नही है ।
मुझे लगता है कि प्रभु चाहता है कि लोग मुझे देखें , चाहे
नफरत से ही सही , ताकि उन्हें भी महसूस हो कि मैं भी
कभी उन्ही की तरह होता था । और वे भी कभी मेरी तरह
ही हो सकते हैं ।"
उसने आगे कहा , " मुझे भी कभी अपने इस शरीर पर बहुत
गुमान होता था । "
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