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माटी कहे कुम्हार से

माटी कहे कुम्हार से -----
एक 'कुम्हार' माटी से ''चिलम'' बनाने जा रहा था !
उसने ''चिलम'' को
आकार दिया फिर ना जाने क्यों उसने उस
''चिलम'' को 'बिगाड़' दिया !
माटी ने पूछा - अरे ''कुम्हार'' पहले तुमने इतनी अच्छी
'चिलम' बनाई
और फिर इस ''चिलम'' को ''बिगाड़'' क्यों दिया ?
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कुम्हार ने कहा; हां माटी पहले तो मैं ''चिलम''
बनाने की सोच रहा था
लेकिन अब मैंने सोच बदल ली है और अब मैं सुराही
या घड़ा बनाऊंगा !
ये सुनकर माटी बोली- वाह कुम्हार तेरी तो सोच
ही बदली लेकिन मेरी
तो जिंदगी ही बदल गयी ! -----
यदि मैं चिलम बनती,तो ''खुद'' भी जलती और
'दूसरों' को भी जलाती
अब सुराही बनूँगी तो खुद भी शीतल रहूँगी दूसरों
को भी शीतल रखूंगी !
आप भी सही फैसला ले खुद भी खुश रहें और दूसरों
को भी खुशियाँ दे ! .....
# दोस्तों, सोच बदलो, देश बदलेगा -----

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