मल्लाह बोला, "नहीं।"
वैयाकरण ने कहा, "अफसोस है कि तुने अपनी आधी उम्र यों ही गंवा दी!"
मांझी को बड़ा क्रोध आया। लेकिन उस समय वह कुछ नहीं बोला। दैवयोग से वायु के प्रचंड झोंकों ने नाव को भंवर में डाल दिया।
नाविक ने ऊंचे स्वर में वैयाकरण से पूछा, "महाराज, आपको तैरना भी आता है कि नहीं?"
वैयाकरण ने कहा, "नहीं, मुझे तैरना नही आता।"
नाविक ने कहा, "वैयाकरण, तेरी सारी उम्र बरबाद हो गयी, क्योंकि नाव अब भंवर में डूबने वाली है।"
[मनुष्य को किसी एक विद्या या कला में दक्ष हो जाने पर गर्व नहीं करना चाहिए।] १
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