जब राज-ज्योतिषियों को यह हाल मालूम हुआ तो वे दौड़े आये कहने लगे कि यह स्वप्न विवाह का सूचक है। अब जल्द राजकुमार का विवाह हो जाना चाहिए।
राजा एक साधु से परिचित थे, जो अपनी तपस्या और विद्या के कारण विख्यात था। साधु एक बड़ी सुन्दर लड़की थी। उसीसे राजा ने राजकुमार का विवाह करने का निश्चय किया। साधु के पास सन्देश भेजा। साधु बड़ा खुश हुआ और विवाह के लिए राजी हो गया। राजा के लड़के और साधु की लड़की का विवाह हो गया।
जब रानी को यह हाल मालूम हुआ कि पुत्र-वधू एक साधारण साधु की लड़की है, तो उसे बड़ा क्रोध आया। राजा से बोली, "तुमने अपनी प्रतिष्ठा का कुछ भी ख्याल न किया। राजा होकर साधु से रिश्ता जोड़ लिया!"
राजा ने रानी की बात सुनी तो कहने लगा, "तू उसको साधु न समझ, वह तो राजा है। जिसने अपनी इच्छाओं को वश में कर लिया वही राजा है। इन्द्रियों के दास को कौन बुद्धिमान मनुष्य राजा कह सकता है? बस, अब चिन्ता न कर मैंने राजा से रिश्ता जोड़ा है, साधु से नहीं।"
वह स्त्री बिलकुल चुड़ैल थी। सब उससे नफरत करते थे। पर राजकुमार उसपर मुग्ध था। उसे इस चुड़ैल का इतना मोह हो गया था कि इसके लिए जान देने को भी तैयार था।
राजा का जब यह हाल मालूम हुआ तो सन्न रह गया। बार-बार राजकुमार के सौन्दर्य और उसकी वधू के रूप की याद करके उसके भाग्य पर रोने लगा। अब राजा को यह चिन्ता हुई कि किसी तरह राजकुमार का मन अपनी विवाहित स्त्री की ओर आकर्षित हो और इस चुड़ैल से छुटकारा मिले। यत्न करने से कार्य सिद्ध होता है। राजा ने जब यत्न करने का बीड़ा उठाया तो सफलता नज़र आने लगी। राजा को एक
जादूगर मिल गया। उसने कहा, "मैं अपनी विद्या से राजकुमार को चुड़ैल के चक्कर से निकाल दूंगा। आप घबराएं नहीं।"
यह कहकर जादूगर राजकुमार के पास पहुंचा और उसको अपनी जादू-भरी वाणी से उपदेश करने लगा। उपदेश सुनना था कि राजकुमार के होश ठिकाने आ गये और चुड़ैल को डांटकर कहने लगा कि तूने मुझे इतने दिनों तक बहकाये रक्खा। अब मैं एक क्षण के लिए भी तेरी सूरत नहीं देखना चाहता। चुडैल तुरन्त वहां से भाग गयी। राजकुमार उसके फन्दे से निकलकर अपनी परी-जैसी पत्नी के पास आ पहुंचा। जब उसे इस देवी के दर्शन हुए तो फूला न समाया। अब व अपने को सचमुच धन्य समझने लगा।
[यह दुनिया चुड़ैल के समान है, जो भोले मनुष्य को अपने जाल में फंसा कर, मक्ति-पथ से विचलित कर देती हैं परन्तु जब जादूगर की तरह कोई सच्चा ज्ञानी मिल जाता है तो मनुष्य के मन को परमात्मा की ओर लगा देता है।]१






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