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A Latter to mahatma Gandhi-चरखे -लाठी वाले के नाम चिट्ठी.

माय डियर,

हैप्पी बर्थ डे !


मैं शर्मिंदा हूँ कि इस देश में तुम्हें गरियाना एक फ़ैशन है. फ़ख्र है कि
इस लिहाज़ से मैं फ़ैशनेबल नहीं. तुम अपनी लड़ाई अपनी तरह से लड़ कर चल दिए.
तुम तो बढ़िया जन्नत में बैठे चरखा चला रहे होओगे. इधर कभी - कभी तुम्हारे
हक़ में लड़ना पड़ता है, बॉस ! सिर पर तुम्हारा क़र्ज़ जो चढ़ा है.

ये अजब सा दौर है. यहाँ गाली से ताली बजती है. भीड़ आसान रास्ते चुनती है.
तुम्हारे जैसे यहाँ कोई फ्री नहीं बैठा कि 'सत्य -अहिंसा' की राह पर लॉन्ग
वॉक के लिए निकल गए.

तुम आदमी आसान थे पर काम मुश्किल किए. ऐसे कई मौक़े आते हैं कि जब लगता है
कि तुम्हे होना था.

ज़रूरत है तुम्हारी. वापसी का कोई प्रोग्राम है ?


याद. बाबुष

From the wall of Baabusha Kohli

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