थीं. इंटरवल मेंसारे बच्चे जल्दी जल्दी खाना ख़त्म करके खेलने चले जाते
थे. और मै अपना खाना ख़त्म नहीं कर पाता था. तो डब्बे में हमेशा ही कुछ न
कुछ बच जाता था, और मुझे... रोज़ डांट पड़ती थी. मेरी बहनभी घर आ के
शिकायत करती थी कि उसे छोड़ के इंटरवल में मै खेलने भाग जाता हूँ. एक दिन
मेरी बहन मेरे साथ स्कूल नहीं गई. मै ख़ुशी ख़ुशी घर आया और माँ को बताया
की मैंने आज पूरा खाना खाया है. माँ को यकीन नहीं हुआ, उन्होंने डब्बा
खोला और मुझे दो झापड़ रसीद कर दिए. फिरमाँ बोली की आज तुमने अपना पूरा
खाना फेक दिया इस लिए मार पड़ी है. मुझे मालूम है की मै तुम्हे ज्यादा
खाना देती हूँ और तुम छोड़ोगे ही. लेकिन अगर 4 रोटी में से 2 भी खा ली तो
कुछ तो तुम्हारे पेट में जायेगा. ये माँ का प्यार था. आज भी जब मै ये बात
याद करता हूँ तो मेरी आँखे भर आती हैं,और सोचता हूँ कीक्या मै भी कभी किसी
को इतना प्यार कर पाउँगा !
Bassar
bassar@aol.in
0 comments:
Post a Comment