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लालच का कलश


एक घुड़सवार ने यह आवाज सुनी,'जिस पेड़ के नीचे से तुम अभी-अभी गुजरे हो, उसकी जड़ के पास सात कलश रखे हैं। उनमें से छह में सोना भरा है और सातवां आधा खाली है। यदि तुम इस कलश को सोने से भर दोगे तो तुम अन्य सभी कलशों के स्वर्ण के स्वामी बन जाओगे। यह सुनकर घुड़सवार फूला न समाया। वह सातों कलश लेकर घर पहुंचा। अपनी पत्नी के साथ मिलकर घर में रखे सारे सोने को मिलाकर वह उस कलश को भरने लगा, पर कलश नहीं भरा। हारकर वह घुड़सवार सातों कलशों को लेकर उसी वृक्ष के निकट पहुंचा और पेड़ पर निवास करने वाले यक्ष को पुकारकर सारी बात बता दी।



यक्ष हंसकर बोला, 'अरे मूर्ख, यदि इन कलशों का स्वर्ण पाना इतना आसान होता तो ये कलश यहाँ कैसे रह सकते थे। खोलकर देख,इनमें सोना नहीं पीतल भरा है। और जिस आधे कलश को तू भरना चाहता था, वह लालच का कलश है जो कभी नहीं भरता।' यह सुनकर घुड़सवार शर्मिन्दा हो गया।




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